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अगर चम्पाई सरकार फ्लोर टेस्ट में फेल हो गई तो क्या होगा ? आखिर क्या होता है ये फ्लोर टेस्ट ?

Champai Soren Floor Test: फ्लोर टेस्ट क्या होता है… झारखंड में जारी सियासी संकट के बीच यह सवाल मन में आना लाजिमी है. तो बता दें कि फ्लोर टेस्ट एक ऐसा प्रस्ताव है जिसके जरिए यह जाना जाता है कि मौजूदा सरकार के पास बहुमत है या नहीं। यानी सरकार को विधायिका का समर्थन प्राप्त है कि नहीं ।

झारखंड के मौजूदा हालात की बात करें तो 5 फरवरी को चम्पाई सोरेन 47 विधायकों के समर्थन का दावा करने वाले हैं, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) भी शामिल होंगे।

 

फ्लोर टेस्ट क्या है?

फ्लोर टेस्ट मुख्य रूप से तब किया जाता है जब पुरानी सरकार की जगह कोई नई सरकार आने वाली होती है। यह जांचने के लिए एहतियाती परीक्षण करने का एक तरीका है कि क्या नए नेता विधायिका में बहुमत से समर्थन हासिल करेंगे या नहीं।

किसी राज्य का राज्यपाल, संविधान के अनुच्छेद 163 के तहत, अनुरोध कर सकता है कि जब विधानसभा सत्र में न हो तो मुख्यमंत्री अपना बहुमत दिखाए। हालाँकि, जब विधानसभा सत्र चल रहा हो, तो विधानसभा अध्यक्ष शक्ति परीक्षण का अनुरोध कर सकते हैं।

अगर चंपई सरकार फ्लोर टेस्ट में फेल हो गई तो क्या होगा ?

फ्लोर टेस्ट से पहले इंडिया गठबंधन की सरकार ने विधानसभा में बहुमत का दावा करते हुए राज्यपाल के सामने चंपई सोरेन का आगे नाम रख दिया, जिसके बाद महामहिम सीपी राधाकृष्णन द्वारा उन्हें मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। और 10 दिन के अंदर उन्हें बहुमत साबित करने को कहा गया है। अब 5 फरवरी को बहुमत का दावा करने वाली इंडिया गठबंधन के नेता चंपई सोरेन को विधानसभा में विश्वास मत देना होगा और उपस्थित मतदान करने वालों के बीच बहुमत साबित करना होगा। इस दौरान विधानसभा में बहुमत साबित करने में विफल रहने पर मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ सकता है, शायद यही कारण है कि गठबंधन के 37 विधायक इस वक्त हैदराबाद में है, जिनकी रांची में लैंडिंग अब सीधे 5 तारीख को ही होगी।

साथ ही ये भी जानकारी दे दें कि अगर मामला किसी राज्य का है तो फ्लोर टेस्ट उस राज्य विधानसभा के अध्यक्ष कराते हैं। राज्यपाल सिर्फ आदेश देते हैं। फ्लोर टेस्ट में राज्यपाल का किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं होता है। फ्लोर टेस्ट एक पारदर्शी प्रक्रिया है, जिसमें विधायक विधानसभा में पेश होकर अपना वोट देते हैं।

फ्लोर टेस्ट से पहले पार्टियां जारी करेंगी व्हिप

जब भी फ्लोर टेस्ट होना होता है, सभी पार्टियां अपने विधायकों को व्हिप जारी करती हैं। इस व्हिप के जरिए पार्टियां अपने विधायकों को हर हाल में विधानसभा में मौजूद रहने के लिए कहती है। अगर कोई विधायक व्हिप का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ दल बदल कानून के तहत कार्रवाई की जाती है।

विधानसभा में कैसे होगी मतदान प्रक्रिया ?

राजनीतिक नेताओं के लिए निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए दुनिया के कई हिस्सों में मतदान प्रक्रिया अपनाई जाती है । यह दुनिया भर के अधिकांश लोकतंत्रों में अपनाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह कहा जा सकता है कि यह राजनीतिक व्यवस्था की रीढ़ है।

वोटिंग तीन तरीकों से होती है, जैसे बैलेट वोट, वॉयस वोट और डिविज़न वोट । मतपत्र राज्य या संसदीय चुनावों के दौरान मतदान प्रक्रिया के समान है।
पर्चियों, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स या मतपेटी का उपयोग करके मतदान करने की प्रक्रिया को डिवीजन वोटिंग कहा जाता है ।
ध्वनि मत में विधायकों को मौखिक रूप से जवाब देना होता है.
मतदान प्रक्रिया में सबसे पहले मुख्य आवश्यकता योग्य उम्मीदवारों की उपस्थिति होती है जो मतदान कर सकते हैं, जो उनकी उम्र और पिछले रिकॉर्ड से निर्धारित होता है।

फ्लोर टेस्ट के अंक जुड़ेंगे लोक सभा 2024 के बोर्ड एग्जाम में

झारखंड में हर दिन बदलती राजनीतिक तस्वीर के बीच अब ये कुछ ही घंटों में साफ हो जाएगा कि चम्पाई सोरेन की ये नई सरकार कब टिकने वाली है। कह सकते इस फ्लोर टेस्ट के अंक अब सीधे लोक सभा 2024 के बोर्ड एग्जाम में जोड़े जाएंगे।

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