JBVNL Audit Report: झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) एक बार फिर वित्तीय अनियमितताओं को लेकर सवालों के घेरे में है। वित्त वर्ष 2024-25 की JBVNL Audit Report में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जिससे निगम की आंतरिक लेखा प्रणाली और वित्तीय प्रबंधन पर गंभीर संदेह उत्पन्न हो गया है।
यह ऑडिट रिपोर्ट झारखंड विद्युत नियामक आयोग को सौंपी गई है, जिसमें उपभोक्ताओं से ली गई सिक्योरिटी राशि, ब्याज भुगतान और बिजली खरीद खर्चों को लेकर कई अनियमितताएं उजागर हुई हैं।
💰 36.23 करोड़ की सिक्योरिटी राशि, 21.51 करोड़ का कोई हिसाब नहीं
ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, JBVNL को उपभोक्ताओं से सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में कुल 36.23 करोड़ रुपये प्राप्त हुए।
लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि:
केवल 14.72 करोड़ रुपये का ही स्पष्ट रिकॉर्ड उपलब्ध है
शेष 21.51 करोड़ रुपये का कोई लेखा-जोखा नहीं मिला
इस भारी राशि का रिकॉर्ड न होना निगम की पारदर्शिता और जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
📉 ब्याज भुगतान में भी अनियमितता
ऑडिट में यह भी सामने आया कि सिक्योरिटी डिपॉजिट पर दिया गया ब्याज नियमों के अनुसार नहीं है।
कुल 15.25 करोड़ रुपये का ब्याज भुगतान किया गया
यह भुगतान वास्तविक तिथियों के बजाय औसत आधार पर किया गया
उपभोक्ता-वार और तिथि-वार विवरण उपलब्ध नहीं कराया गया
पूर्ण जानकारी के अभाव में ऑडिटरों ने इन मदों पर सटीक वित्तीय राय देने में असमर्थता जताई है।
⚡ बिजली खरीद खर्च पर भी सवाल
JBVNL ने दावा किया है कि वित्त वर्ष 2024-25 में:
9,189.28 करोड़ रुपये बिजली खरीद पर खर्च किए गए
लेकिन इनमें से 2,217.43 करोड़ रुपये के खर्च से जुड़े
कोई ठोस दस्तावेज
कोई प्रमाणिक रिकॉर्ड
उपलब्ध नहीं कराया गया
यह मामला सीधे तौर पर बिजली विभाग में संभावित वित्तीय गड़बड़ी की ओर इशारा करता है।
🧾 बिजली बिल में ब्याज समायोजन पर संदेह
ऑडिट रिपोर्ट में बिजली बिलों में किए गए ब्याज समायोजन को लेकर भी कई सवाल उठे हैं।
ब्याज समायोजन की राशि केवल 42.55 करोड़ रुपये तक सीमित पाई गई
शेष राशि का कोई स्पष्ट विवरण उपलब्ध नहीं
डिस्कनेक्ट उपभोक्ताओं को 3.64 करोड़ रुपये रिफंड किए गए
लेकिन इन भुगतानों के:
उपभोक्ता-वार विवरण
प्रमाणिक दस्तावेज
प्रस्तुत नहीं किए गए
इस कारण इन लेन-देन की सत्यता की पुष्टि नहीं हो सकी।
📌 ऑडिट की सिफारिशें
ऑडिट रिपोर्ट में JBVNL को लेकर स्पष्ट सिफारिशें की गई हैं:
आंतरिक लेखा प्रणाली को मजबूत किया जाए
वित्तीय नियंत्रण तंत्र में सुधार हो
सभी लेन-देन का पारदर्शी और पूर्ण रिकॉर्ड रखा जाए
🧠 निष्कर्ष
JBVNL ऑडिट रिपोर्ट 2024-25 ने निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। करोड़ों रुपये का हिसाब न होना न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही दर्शाता है, बल्कि इससे आम उपभोक्ताओं का भरोसा भी कमजोर होता है। अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि सरकार और नियामक आयोग इस रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई करते हैं।
❓ पाठकों से सवाल
क्या JBVNL की इन अनियमितताओं की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए?
उपभोक्ताओं की सिक्योरिटी राशि की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी?
क्या बिजली विभाग में पारदर्शिता की कमी आम समस्या बन चुकी है?
👇 अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं।
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