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शिक्षा नीति-2020 लागू, 5वीं तक मातृभाषा में पढ़ाई, HRD-UGC-AICTE सब खत्म!

शिक्षा नीति-2020

नई शिक्षा नीति-2020 में स्कूली शिक्षा से उच्च शिक्षा तक कई ढांचागत बदलाव किए गए हैं. उच्च शिक्षा की बात करें तो नई नीति के तहत अब उच्च शिक्षा में मल्टीपल इंट्री और एग्जिट का विकल्प दिया जाएगा. इसके अलावा पांच साल के इंटीग्रेटेड कोर्स करने वालों को एमफिल नहीं करना होगा. यानी पीएचडी के लिए अब एमफिल जरूरी नहीं होगा. कॉलेजों को एक्रेडिटेशन के आधार पर अब स्वायत्ता दी जाएगी. सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों को लिए शिक्षा मानक समान रहेंगे. नई शिक्षा नीति-2020 में राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम का ऑफर दिया जाएगा. हालांकि यह संस्थानों के लिए अनिवार्य नहीं होगा.

इसके अलावा मेंटरिंग के लिए राष्ट्रीय मिशन चलाया जाएगा. नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) की स्थापना होगी जिससे रिसर्च और इन्नोवेशन को बढ़वा मिलेगा. शिक्षा (टीचिंग, लर्निंग और एसेसमेंट) में तकनीकी को बढ़वा दिया जाएगा. इसके लिए ई-कोर्सेस आठ प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किया जाएंगे. नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी फोरम (एनईटीएफ) की स्थापना की जाएगी.

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नई शिक्षा नीति-2020 के तहत सबसे खास बदलाव स्कूली शिक्षा को लेकर किया गया है. अब पांचवीं तक बच्चों की पढ़ाई मातृभाषा में होगी. इसके अलावा बोर्ड एग्जाम को दो भाग में बाटा जाएगा. बच्चों पर पढ़ाई के बोझ को संतुलित करने के प्रयास होंगे. इसके लिए अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन के लिए एनसीईआरटी द्वारा पाठ्यक्रम तैयार होगा. बुनियादी शिक्षा (6 से 9 वर्ष के लिए) के लिए फाउंडेशनल लिट्रेसी एंड न्यूमेरेसी पर नेशनल मिशन शुरु किया जाएगा. स्कूली शिक्षा की रुपरेखा 5+3+3+4 के आधार पर तैयारी की जाएगी, जिसमें अंतिम 4 वर्ष 9वीं से 12वीं की शिक्षा शामिल है.

कोडिंग जैससे नये कौशल को शुरु किया जाएगा. एक्सट्रा कैरिकुलर एक्टिविटीज को मुख्य पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा. कक्षा 6 के बाद से ही वोकेशनल शिक्षा को जोड़ा जाएगा. बच्चों की रिपोर्ट कार्ड में लाइफ स्किल्स को जोड़ा जाएगा. ताकि विद्यालयी शिक्षा के निकलने के बाद हर बच्चे के पास कम से कम कोई लाइफ स्किल होगी. नई नीति के तहत साल 2030 तक हर बच्चे के लिए शिक्षा सुनिश्चित की जाएगी.

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ड्राफ्ट 2019 में ही तैयार कर लिया गया था, जिसकी मंजूरी आज, 29 जुलाई 2020 को दी गयी है. बता दें कि इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1986 में अपने कार्यकाल में नई शिक्षा नीति बनाई थी, जिसे 1992 में संशोधित किया गया था. दस्तावेज के अनुसार नई शिक्षा नीति फंडामेंटल पिलर एक्सेस, सामर्थ्य, इक्विटी, गुणवत्ता और जवाबदेही पर आधारित है. नई नीति बदलते विश्व परिवेश और इसके साथ छात्रों को अपडेट रखने की आवश्यकता पर भी ध्यान देती है.

 

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