रांची : झारखंड में Rajya Sabha की दो सीटों के लिए आज वोटिंग हुई. एक सीट पर जेएमएम के शिबू सोरेन और दूसरे सीट पर बीजेपी के दीपक प्रकाश ने कब्जा जमाया. जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन को 31 विधायकों का वोट मिला, वहीं बीजेपी प्रत्याशी दीपक प्रकाश को 30 विधायकों ने वोट दिया. वहीं कांग्रेस के शहजादा अनवर को 18 विधायकों ने वोट किया.
Rajya Sabha में मतदान से पहले ही कयास लगाये जा रहे थे कि जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन और बीजेपी प्रत्याशी दीपक प्रकाश की जीत तय है. बीजेपी ने मतदान से पहले ही दावा किया था कि 79 विधायकों में 30 विधायक एनडीए प्रत्याशी दीपक प्रकाश के पक्ष में हैं.
बता दें कि सरयू राय ने पहले ही तय कर दिया था कि उनका वोट दीपक प्रकाश को जायेगा. उन्होंने कहा था कि उनका मतभेद बीजेपी के बड़े नेता से है बीजेपी से नहीं. उन्होंने कहा था कि दीपक प्रकाश से उनका निजी करीबी रिश्ता है.
ऐसा रहा जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन का राजनीतिक सफर
शिबू सोरेन झारखंड के सबसे बड़े नेताओं में शुमार हैं. शिबू सोरेन झारखंड के आदिवासी समुदाय के सबसे बड़े राजनीतिक चेहरों में से एक हैं. शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इस दौरान वह केवल 10 दिनों के लिए भी झारखंड के मुख्यमंत्री रहे. झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन 2006 में केंद्र सरकार में कोयला मंत्री भी रहे हैं. शिबू सोरेन झारखंड के दुमका से 14वीं लोकसभा में सांसद थे.
शिबू सोरेन ने पहला लोकसभा चुनाव 1977 में लड़ा था, लेकिन उस चुनाव में उन्हें हार मिली थी. वह पहली बार 1980 में लोकसभा सांसद चुने गए. इसके बाद शिबू 1989, 1991 और 1996 में लोकसभा चुनाव जीते. 2002 में वह राज्यसभा में पहुंचे. इसी साल उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा देकर दुमका से लोकसभा का उपचुनाव जीता. 2004 में वे दुमका से लोकसभा के लिये चुने गये. अब 2020 में राज्यसभा चुनाव में उन्हें फिर जीत मिली.
70 के दशक के आंदोलन से बने आदिवासी नेता
शिबू सोरेन ने 1970 के दशक में राजनीति में आदिवासियों के नेता के तौर पर कदम रखा. बताया जाता है कि 1975 में उन्होंने बाहरी यानी गैर-आदिवासी लोगों को निकालने के लिए एक आंदोलन भी छेड़ा था.
दीपक प्रकाश का राजनीतिक सफर
दीपक प्रकाश अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के समय से सक्रिय रहे हैं. झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की भाजपा सरकार के समय दीपक को झारखंड खनिज विकास निगम का चेयरमैन नियुक्त किया गया था. वर्ष 2006 में बाबूलाल मरांडी के भाजपा छोड़ने के क्रम में दीपक प्रकाश ने भी बीजेपी से रिजाइन कर दिया था. हालांकि तीन साल बाद वे वापस भारतीय जनता पार्टी में लौट आए. दीपक को संगठन का लंबा अनुभव है.