Jharkhand की सियासत में भूचाल मचा है. पिछले कुछ दिनों में एक के बाद जिस तरह से संभावनाएं हकीकत में बदल रही है और जिससे सभी हैरान हो रहे है. एक तरफ झारखंड के मुख्यमंत्री का पद संभाल रहे हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की गिरफ्तारी के साथ ही राज्य में सियासी संकट खड़ा हो गया. वहीं दूसरी तरफ आनन-फानन में चंपई सोरेन (Champai Soren) को विधायक दल का नेता चुना गया और सीएम के तौर पर आगे किया गया.
चंपई होंगे सिर्फ डमी CM, सत्ता की चाबी शिबू सोरेन के पास !
कहा तो ये भी जा रहा है कि चंपई सिर्फ एक डमी CM होंगे और सत्ता की चाबी पूरी तरह से शिबू सोरेन के घर के पास ही रहेगी, सियासी गलियों में ये चर्चा जोरों पर है कि दिशोम गुरु सत्ता की ये कुर्सी सोरेन परिवार से बाहर नहीं देना चाहते थे, हालांकि परिवार में ऐसी कलह छिड़ गई कि सत्ता की चाबी के लिए संघर्ष छिड़ गया है। परिवार के एक सदस्य को मुख्यमंत्री के साथ शपथ लेनी थी, लेकिन पारिवारिक कलह से उसपर ताल लग गया . असल में जेठानी सीता सोरेन ने देवरानी कल्पना सोरेन के सीएम बनने की राह में अड़चने पैदा की, जिससे शिबू सोरेन के सबसे छोटे बेटे बसंत सोरेन भी इस संघर्ष के भेंट चढ़ गये. हालांकि इन तीनों में से एक का सरकार में शामिल होना तय है, लेकिन देवर, देवरानी या जेठानी के बीच कुर्सी की लड़ाई में पेंच फंस गया है….
पार्टी और गठबंधन में सोरेन परिवार की भूमिका उतनी ही अहम रहेगी ?
बहरहाल राज्य की कमान झारखंड के टाइगर कहे जाने वाले चंपई सोरेन के पास है। और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जेल चले गए, ऐसे में आने वाले दिनों में सोरेन परिवार की भूमिका पार्टी और गठबंधन में उतनी ही अहम रहेगी या ये बात इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर शिबू सोरेन के डर को सच साबित कर देगा ये तो समय ही बताएगा. क्यूंकि फ़िलहाल सोरेन परिवार का संकट यहीं खत्म होता नहीं दिख रहा है। अब तक माना जा रहा था कि हेमंत सोरेन द्वारा ईडी की गिरफ्तारी के खिलाफ की गयी याचिका के बाद उन्हें कुछ राहत मिले, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है.
चम्पई के लिए सीएम का पद संभालना मुश्किल !
झारखंड के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के तुरंत बाद चंपई सोरेन ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि हेमंत सोरेन के खिलाफ साजिश रची गई है और जल्द ही इस बेनकाब करेंगे . यहां के आदिवासियों, मूलवासियों एवं आम झारखंडियों का के सर्वांगीण विकास के लिए जो योजनाएं शुरू की गई हैं, हम उसे गति देने का काम करेंगे. हालांकि आने वाले दिनों सूबे के नए मुखिया के लिए ये रास्ता उतना आसान होता नहीं दिख रहा. कुछ ही दिनों में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं, जाहिर है ऐसे में विपक्ष में खड़ी बीजेपी महागठबंधन के उपर मंडरा रहे संकट का पूरा फैयदा उठाना चाहेगी .
झारखंड की जनता पर क्या पड़ रहा असर
झारखंड की राजनीति लोगों की समझ से परे है. यहाँ कौन सा नेता कब किस दल में शामिल हो जाएगा, कोई अंदाज़ा नहीं लगा सकता. विधानसभा के चुनावों की घोषणा से पहले ही नेताओं में पाला बदलने की होड़ लगी दिखती है . पता नहीं कब किसकी कहाँ से क़िस्मत चमक जाए. अबतक इंडिया गठबंधन हेमन्त है तो हिम्मत है के नारे के साथ आगे बढ़ रही थी, लेकिन अब इतने कम समय में बतौर सीएम चम्पई सोरेन की भूमिका को समझना और उनपर अगले 5 साल के लिए विश्वास करना जनता के लिए भी मुश्किल होगा.
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